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लोकगीत
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रानी बैठी पलंग पे


रानी बैठी पलंग पे रुवाब कसती

तुमने सासू को बुलाया हमसे कहा भी नहीं

हमसे कहा भी नहीं हमसे पूछा भी नहीं

रानी ऐसी मार मारू जिसकी गिनती भी नहीं

जिसकी गिनती भी नहीं हमको लगती भी नहीं

रानी तेरी जैसी नकटी हमने देखि ही नहीं

राजा नकटी भी ना होती तो घर में टिकती भी नहीं








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