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लोकगीत
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मैं खाई थी अनार

सोहर


मैं खाई थी अनार बिमारी हो गई भारी जी

जाके कहना मेरे ससुर को वैद्य का लड़का लाना जी
जाके कहना मेरे बहु को मेरा आना नई होता
कचहरी का काम मुकदमा चल रहा भारी जी
मैं खाई थी अनार बिमारी हो गई भारी जी

जाके कहना मेरे जेठ को वैद्य का लड़का लाना जी
जाके कहना मेरे बहु को मेरा आना नई होता
बैंक का काम हिसाब चल रहा भारी जी
मैं खाई थी अनार बिमारी हो गई भारी जी

जाके कहना मेरे देवर को वैद्य का लड़का लाना जी
जाके कहना मेरे भाभी को मेरा आना नई होता
स्कूल का काम परीक्षा चल रही भारी जी
मैं खाई थी अनार बिमारी हो गई भारी जी

जाके कहना मेरे पीया को वैद्य का लड़का लाना जी
आगे आगे मेरा पीया पीछे वैद्य का लड़का जी
हुये नंदलाल बिमारी हट गई भारी जी
मैं खाई थी अनार बिमारी हो गई भारी जी








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