झीलों के शहर के रूप में प्रसिध्द भोपाल में छोटी-बड़ी लगभग 17 झीलें है। बड़ी झील जिसे भोजताल के नाम से भी जाना जाता है, यह शहर का मुख्य आकर्षण है। यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है जो भोपाल निवासियों के पीने के पानी का मुख्य स्त्रोत भी है।
पर्यटन की दृष्टी से भोपाल का विशेष महत्त्व है यह भारत के पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां विभिन्न प्रकार के दर्शनीय स्थल है जो भोपाल की अलग पहचान बनाते है। भोपाल और इसके आसपास कई पर्यटन स्थल है जिसमें पिकनिक स्पॉट, ऐतिहासिक इमारते, संग्रहालय, झीलें, मंदिर, लाईब्रेरी, बहु कला केंद्र, प्राकृतिक सौंदर्य, वन्यजीव पार्क, प्राकृतिक बांध, उद्यान, गुफाएं आदि है जो अपने महत्त्व और खूबसूरती से पर्यटकों को आकर्षित करते है। यहां हर साल हजारो-लाखो की तादाद में पर्यटक सैर करने आते है। भोपाल एक आकर्षक पर्यटन स्थल है जिसकी यात्रा अवश्य करना चाहिए। इसे ग्रीन सिटी के रूप में जाना जाता है और अब यह स्मार्ट सिटी भी बनने जा रहा है। आईये जानते है भोपाल और इसके आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे में :-



वनविहार की 5 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए आपको एक ओर हरियाली से भरा पहाड़ तो दूसरी ओर बड़ी झील दिखाई देती है जो खुशनुमा एहसास कराती है जंगल के अन्दर आप पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल, कार से घूम सकते है लेकिन यदि आप पैदल घुमें तो प्रकृति के साथ वन्य प्राणियों का भरपूर आनंद ले सकेंगे चूंकि जानवर शोर से घबराते है तो यदि आप बिना शोर किये घूमें तो जानवरों को अच्छे से देख पायेंगे । सुबह और शाम के समय यहां ज्यादा जानवरों को देखा जा सकता है क्योंकि दोपहर के समय वे आराम फरमाते है।
यहां के सीधे सादे भालू की झलक मनमोह लेती है और बाघ इनकी तो शान ही निराली है। चितकबरी पट्टियों वाला लकड़बग्घा बड़ा मस्त दिखता है और भूरा-पीला फर, अनेकों खोखले काले धब्बो वाला तेंदुआ बड़ा अलबेला है। यहां के छोटे-बड़े सुन्दर कछुए जब पानी से बाहर आते है तो इनकी चमक खूब भाती है और रंगबिरंगी तितलियां मन खुश कर देती है। सांपो में किंग कोबरा के अतिरिक्त यहां विभिन्न प्रजाति के सांप भी है। इसके अलावा यहां सुन्दर सांभर, आकर्षक हिरन, शांत नीलगाय और सुरीले पक्षी भी है। पक्षियों का कलरव इतना मीठा एहसास कराता है की आगे जाने का मन ही नहीं करता । ठण्ड के दिनों में पक्षियों की बड़ी संख्या विशेष रूप से इस पार्क में आती है। यहां जानवरों के बाड़े पर उनकी महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी गई है।
जब आप घूमकर थक जायें और आराम करना चाहे साथ ही आपको भूख भी लगी हो तो यहां वाइल्ड लाइफ कैफे भी है जिसमें आप प्रकृति का आनंद लेते हुए स्वादिष्ट खाने का मजा ले सकते है। कैफे के समीप ही विहार वीथिका है, यहां चित्रों और कुछ वास्तविक चीजों के माध्यम से जंगल तथा जंगली जानवरों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी गई है। वनविहार का मुख्य द्वार बोट क्लब के पास से है, जहां से आप इस खूबसूरत जंगल में प्रवेश करेंगे और कभी ना भुलने वाली यहां की प्राकृतिक सुन्दरता और मनोरम दृश्य को समेटकर ले जायेंगे।

छोटे तालाब का सौंदर्य कमला उद्यान से बढ़ जाता है। यहां का शांत वातावरण मन को सुकून देने वाला है। पर्यटक यहां पानी के खेलों का आनंद ले सकते है। यह पहाड़ियों और बड़ी झील के बीच स्थित है, छोटी झील अपनी सुन्दरता से लोगो का ध्यान आकर्षित करती है।

केरवा डेम हरियाली से भरा और ऊंची पहाड़ियों से घिरा एक खूबसूरत प्राकृतिक बांध है, जो पिकनिक का आनंद लेने के लिए शानदार स्थान है। केरवा डेम को पारिस्थितिकी पर्यटन के रूप में विकसित किया गया है जो शहर से करीब होने के बावजूद प्राकृतिक जंगल और सुन्दरता को बनाये रखता है। हरे भरे जंगल से भरपूर यह स्थान कोटरा सुल्तानाबाद बंद भोपाल से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बारिश में तो यहां की प्राकृतिक सुन्दरता ऐसी लगती है जैसे कुदरत ने इसे सजा दिया हो। यहां के आसपास के घने जंगलों में शेर व अन्य जानवर विचरण करते है लिहाजा आबादी के आसपास ही रहे ।
यहां साहसिक खेलों का अपना ही मजा है, एडवेंचर लवर्स के लिए यह बेहतरीन स्थान है यहां केनोइंग, बोटिंग, पेंटबॉल, रैपलिंग, कयाकिंग, मंकी क्रॉलिंग, आर्चरी (तीरंदाजी), स्काय जिपिंग आदि साहसिक गतिविधियां होती है, मध्य प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड प्राकृतिक सुन्दरता का आनंद लेने के साथ साहसिक खेलो को बढ़ावा दे रहा है। हरे-भरे जंगल से भरपूर इस स्थान में तनाव कम करने और शांति का जादू है।
यूनेस्को ने 2003 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। यह सबसे बड़ा गुफा समूह है। भीमबेटका की गुफाओं की चित्रकारियां यहां रहने वाले पाषाणकालीन मानव जीवन को दर्शाती है। यहां भारत के मानव जीवन के प्राचीनतम चिन्ह है, यह गुफाये मानव द्वारा बनाए गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिध्द है। गुफाओं की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 1200 साल पुराना माना जाता है, इनकी विशेषता यहां के चट्टानों पर हजारो वर्ष पूर्व बनी चित्रकारी है, इसमे दैनिक कामकाज व वन्यप्राणियों के चित्र उकेरे गए है, कुछ मुख्य चित्र जैसे नृत्य, संगीत, शिकार करने, घोड़ो व हाथियों की सवारी, शरीर पर आभूषणों को सजाने और शहद जमा करने के बारे में है, अधिकांश तस्वीरें लाल और सफ़ेद रंग की है, कुछ पीले व हरे रंग के बिन्दुओं से सजी है। यहां लगभग 500 गुफाये है।
यह भोपाल से 46 कि. मी. की दूरी पर दक्षिण में मौजूद है, गुफाये चारो तरफ से विन्ध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुई है, यहां की दीवारे धार्मिक संकेतो से सजी हुई है। यह घने जंगल, करारेदार चट्टानें, चट्टानी आश्रय-चित्रकलाओं का पुरातात्विक खजाने का समूह है।

इनकी अर्द्धगोलाकार संरचनाओं की भव्यता, विशिष्टता और बारीकियां यहां आने पर ही पता चलती है। इसीलिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक इस भव्य संरचना को देखने आते हैं। 1989 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल होने के बाद से इसका महत्व बहुत बढ़ गया। एक खुबसूरत छोटी पहाड़ी पर स्थित इन स्मारकों में स्तूपों के अलावा गुप्तकालीन मंदिर और विहार आदि शामिल है। यहां पर्यटकों के लिए गाइड भी उपलब्ध है। और यहां फोटोग्राफी भी की जा सकती है।



मोती मस्जिद की वास्तुकला बेहद सुन्दर है, इसका निर्माण संगमरमर और लाल पत्थर से किया गया, जो बहुत खूबसूरत है। इसे कुदसिया की बेटी सिकंदर जहां बेगम ने 1860 ई. में बनवाया था, मस्जिद की शैली दिल्ली में बनी जामा मस्जिद के समान है लेकिन आकार में उससे छोटी है। यहां लाल गहरे रंग की दो मीनारे है, ये ऊपर से नुकीली है जो सोने के समान लगती है। हर साल यहां हजारो पर्यटक घूमने के लिए आते है।
गौहर महल बड़े तालाब के किनारे स्थित भव्य महल है, आतंरिक हिस्सों की खिड़कियों से बड़े तालाब का मनोरम दृश्य दिखता है। यह भोपाल रियासत का पहला महल है। गौहर महल का निर्माण नवाब कुदसिया बेगम (सन् 1819-37) के शासनकाल में 1820 में कराया गया था। महल के ऊपरी हिस्से में एक ऐसा कमरा है, जिससे पूरे शहर का खूबसूरत नजारा दिखता है। इसके दरवाजों पर कांच से नक़्काशी की गई है। महल की दीवारों पर लकड़ी के नक़्क़ाशीदार स्तंभ और मेहराबें हैं। स्तंभों पर आकृतियां और फूल-पत्तियों का अंकन है। इस महल को वास्तुकला का सर्वोच्च उदाहरण माना जाता है, यह महल हिन्दू और मुगल स्थापत्य कला का मिश्रण है। इस महल की खासियत इसकी सजावट है जो भारतीय व इस्लामिक वास्तुकला को मिलाकर की गई है जो इसकी खूबसूरती बढ़ाते है।
यह इस्लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है जो पुरातात्विक जिज्ञासा को जीवंत कर देता है। यह शहर के बिचोबिच चौक एरिया के प्रवेश द्वार पर स्थित है। महल के समीप भव्य सदर मंजिल है, कहा जाता है भोपाल के शासक इस मंजिल का इस्तेमाल पब्लिक हॉल के रूप में करते थे। सदर मंजिल हॉल चारो तरफ से हरे भरे बगीचों से घिरा हुआ है जो इसे और सुन्दर बनाता है।

रवीन्द्र भवन कला प्रदर्शन केंद्र है यहां सामजिक, सांस्कृतिक और शासकीय कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। यह भवन राजभाषा व संस्कृति संचालनालय के अंतर्गत कार्यरत है इसके दो रंगमंच है एक सभागृह के अन्दर और दूसरा बाहर है। भवन अपने उद्यान के सौन्दर्य से शानदार लगता है। श्यामला हिल्स पर स्थित इस भवन का उद्घाटन 1962 में प्रो. हुमायू कबीर द्वारा किया गया था।
पुरातात्विक संग्रहालय राज्य के विभिन्न भागो से लाई गई मूर्तियों का एक शानदार संग्रह है। यह मध्यप्रदेश की सम्रद्ध सांस्कृतिक विरासत सिक्के, खुदाई की कलाकृतियां, चित्रों, आदिवासी हस्तशिल्प, संगीत वाद्ययंत्र को प्रदर्शित करता है। यह संग्रहालय बनगंगा रोड पर स्थित है।

एम. पी. नगर स्थित गायत्री मंदिर में हेल्थ पार्क है जिसमें वाकिंग हेतु विशेषरूप से एक्युप्रेशर पथ बनाया गया है और एक जूस सेंटर भी है जिसमें आप बहुत ही कम कीमत में फलों व सब्जियों के जूस का सेवन कर सकते है।

उपर्युक्त पर्यटन स्थलों के साथ-साथ अन्य पर्यटन स्थलों में मयूर पार्क, वर्धमान पार्क, एकांत पार्क, बी.एच.ईएल, हलाली डेम, गोलघर, जहानुमां पैलेस, चिनार पार्क, डी.बी. सिटी माल, आशिमा माल आदि भोपाल को खूबसूरत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।