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ऋतु बसंत बहार ले आई

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ऋतु बसंत बहार ले आई ।
धरती पर सरसों लहराई ।।

अमुआ की डाली बौर से छाई ।
कोयल ने आवाज लगाई ।।

सुन्दर चितवन मन को भाई ।
ऋतु बसंत बहार ले आई ।।

फूल खिले हैं क्यारी क्यारी ।
झूम रही है बगियाँ सारी ।।

मंद सुगंध चले पुरवाई ।
तन मन को लगे सुखदाई ।।

चारों और खुशियाँ लाई ।
ऋतु बसंत बहार ले आई ।।

श्रीमती दुर्गा मोरसिया
3 February 2017









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Comments:


Shobha
01:01:46pm 16Feb2017
Waah bahut sundar

Sarika kashyap
04:18:37pm 04Feb2017
Very nice 👌👍💐

sonam sahu
06:05:53pm 03Feb2017
Nice poem

Neelima
04:28:13pm 03Feb2017
Beautiful


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