
वह दोपहर का समय था और शायद रविवार का दिन, आम तौर पर वैसे तो इस समय मोहल्ले की महिलाएं घर का काम निपटा कर, अपने सबसे जरुरी काम में व्यस्त होने लगती है, और वह काम है मोहल्ल्ले की खबर लेने का ।
रोज की तरह वो सब आज भी एक दुसरे के बारे में बातें कर रही थी की तभी सामने की बिल्डिंग में रहने वाली मैडम बाहर आई और उनके आते ही बातचीत का विषय बदल गया, अब सभी खरीददारी करने के बारे में बात करने लगी थी । कुछ वोल रही थी, इस बार हम दीवाली पर नया फ्रिज लेंगे, तो किसी ने कहा बड़ा टी व्ही, और हाँ तभी बड़ी बिल्डिंग वाली मैडम बोली "हम तो सोने का हार लेने वाले है, इस दीवाली पर " इन सब की ये बातें दूर बैठें हम पति पत्नी के कानो में भी पड़ रहीं थी ।
मैने लाख कोशिश की, कि मैं पत्नी का ध्यान उस खरीदी वाले मुद्दे पर न जाने दूं । परन्तु मेरी कोशिश नाकाम रही और पत्नी ने मुझसे भी वो कठिन सवाल पूछ ही लिया ...
"हम इस साल दीवाली की खरीददारी में क्या लेंगे ?"
उसके इस सवाल पर में चुपचाप सोचने लगा हम क्या खरीद सकते है, और मेरे चुप रहने पर पत्नी ने पुन: वही दर्द देने वाला प्रश्न दोहराया, हम इस बार दीवाली पर क्या लेंगे ,क्या खरीदेंगे मैं अभी उत्तर सोच ही रहा था की तभी स्कूल से लौट कर आये मेरे आट साल के बेटे ने बीच में कहा...
"माँ मैडम ने कहा है की कल टिफिन में दाल वो भी तुअर की फ्राई करके सबको लाना है । "
बेटे की बात सुनकर तो जेसे मुझे पत्नी के प्रश्न का उत्तर ही मिल गया और मेने एकपल गवाए बिना कहा सुनती हो हम इस साल दीवाली पर एक किलो तुअर /अरहर की दाल की खरीददारी करेंगे पर अभी तुम किसी को बताना नहीं । क्योकि ये तो तनख्वाह पर निर्भर करता है की वो समय पर मिलेगी भी या नहीं और यदि वेतन मिल भी गया तो शायद जब तक बाजार में दाल ही ना मिले ...
पत्नी मेरा उत्तर सुनकर बोली आप मेरे बारें में कितना सोचते हैं, मुझे मालूम था आप ऐेसा ही कुछ कहेंगे । तभी हमारी पड़ोसन ने आकर बताया की कल रात उनके यहाँ से पांच किलो तुअर की दाल चोरी हो गई जिसकी रिपोर्ट थाने में लिखवाकर कर आ रही हूँ । उनकी बात सुनकर तो मेने एक किलो दाल की जगह आधा किलो दाल खरीदने का विचार बना लिया और गहन मंथन के बाद इस बार दीवाली की खरीददारी की लिस्ट में आधा किलो तुअर दाल को भी जोड़ दिया ।