पहले मनाऊं मैं गणपति : भजन

गगरिया का दहिया गिराया : भजन

रानी बैठी पलंग पे रुवाब कसती : लोकगीत

राजा और रानी बराबर रहेंगे

अरे चने वाले ने गलियों में आके

आजकल का नया ज़माना सास को

कारे बादल गहराये हो गोरी

जच्चा ख़ुशी बच्चा ख़ुशी

रंग रंगीले फूलों से लहराये मोरा

अंगना बिछाई गोरी खटिया

बतासा लुटाये देहु

मैं खाई थी अनार : लोकगीत

लालन के होने में क्या बाटूंगी

हमार मन हलवे में

रंगी रंगी रे बन्नी की चुनर रंगी रे

बन्नी की बाली उमरिया

बन्नी तेरे हाथो में दो कुल की

मेरी प्यारी बन्नी ससुराल चली

माता पिता की प्यारी बन्नी

सजाया प्यारा सा बन्ना नजारा हम भी देखेंगे